जानें, पपीते के फायदे और उपयोग
पपीता एक ऐसा फल है, जो पूरे साल बाजारों में देखने को मिलता है। यह अपने अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता है। पपीता क कच्चा या पक्का दोनों रूपों में सेवन किया जाता है। पक्का पपीता खाने में जितना मीठा और स्वादिष्ट होता है, उतना ही सेहत से भरपूर होता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। इसलिए पपीता खाने से शरीर स्वस्थ रहता है। पपीता के साथ इसके बीज, छिलके एवं गूदा आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण यह कई बीमारियों के लिए उपचारस्वरुप भी प्रयोग किया जाता है। पपीता कैरिकेसी (Caricaceae) परिवार से संबंध रखता है। इसे अंग्रेजी में पपाया (Papaya) कहा जाता है।
पपीता के फायदे-
पपीता हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यह शरीर को ताकत देने और इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करता है। जिससे शरीर को कई तरह के रोगों से बचाव करने में सहायता मिलती है। आइए चर्चा करते हैं पपीता के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में-
शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में-
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक,पपीता के अर्क या इसके सभी भागों में पॉलीफेनोल्स पाया जाता है। यह एक प्रकार का शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है। जो स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को रोकने में मददगार होता है। इसके अलावा पपीता का यह गुण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इससे संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करने में सहायक होता है। साथ ही यह शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को खत्म करने का भी काम करता है।
ह्रदय को स्वस्थ्य बनाए रखने में सहायक-
पपीता हृदय को स्वस्थ रखने में बेहद लाभदायक होता है। इसमें कई प्रकार के फायटोन्यूट्रियन्ट्स पाए जाते हैं। जिनमें से पोटैशियम और विटामिन-सी ह्रदय प्रणाली की रक्षा करने में सक्षम होते हैं। यह हृदय पर ऑक्सीडेशन से होने वाली क्षति पर रोक लगा कर हृदय रोगों को बढ़ने से पहले ही रोक देते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने का काम करता है। जो स्वथ्य हृदय के लिए बहुत जरूरी होता है।
प्रतिरोधक क्षमता के लिए-
पपीते पर की गई एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, इसमें एक एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनोस्टिमुलेंट (immunostimulant) गुण होते हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और शारीरिक कमजोरी को दूर करने में सहायता करते हैं।
पाचन के लिए-
शरीर की पाचन शक्ति का ठीक न होना, कई समस्याओं का कारण होता है। लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक, पपीते के सेवन से शरीर की पाचन शक्ति में सुधार होता है। क्योंकि इसमें हाइमोपैपेन और पैपेन (hymopapain and papain) नामक दो महत्वपूर्ण यौगिक पाए जाते हैं। जो पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए जाने जाते हैं। इसमें पाए जाने वाला पपाइन, शरीर में प्रोटीन को तेजी से पचाने में मदद करता है। जो एसिड रिफ्लेक्स को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद डायट्री फाइबर मल त्याग (bowel movement) को सामान्य बनाए रखता है।
वजन को कम करने में लाभप्रद-
पपीता में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। जो पेट के मोटापे को नियंत्रित रखने का काम करता है। दरअसल हाई फाइबर होने की वजह से यह मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। जिससे शरीर की कैलोरी बर्न होती है। परिणामस्वरूप वजन कम होने में मदद मिलती है।
डायबिटीज (मधुमेह) को करे कंट्रोल-
फाइबर से भरपूर होने कारण पपीते का सेवन डायबिटीज (मधुमेह) के लिए अच्छा होता है। क्योंकि फाइबर युक्त आहार का सेवन करने से पाचन शक्ति धीमी हो जाती है। जिससे रक्त में कम मात्रा में शुगर अवशोषित होती है। कारणवश अग्नाशयी (पैंक्रियास) को इंसुलिन बनाने में काफी समय मिल जाता है। जिस वजह से यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं। दरअसल इंसुलिन एक हार्मोन होता है। जो शुगर मोलिक्यूल को एनर्जी में बदलता है।
आंखों के लिए-
पपीता में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। विटामिन-ए भी इन्हीं तत्वों में से एक है। जो आंखों के लिए बेहत जरूरी होता है। चूंकि विटामिन-ए की कमी से आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। इसलिए पपीते के सेवन से आंखों के दोषों को दूर किया जा सकता है।
कैंसर को रोकने में सहायक-
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स के कारण कई शारीरिक समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। जिनमें कैंसर भी शामिल है। चूंकि पपीता में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स की समस्या को कम करते हैं। इसके अतिरिक्त पपीते में पेक्टिन नामक कंपाउंड पाया जाता है। जिसमें एंटीकैंसर गुण होते हैं। जो शरीर में कैंसर को बढ़ने से रोकने में सहायता प्रदान करते हैं।
घाव, सूजन की रोकथाम के लिए-
पपीता के अर्क में बैक्टीरिया को कम करने वाले हीलिंग गुण मौजूद होते हैं। जो घाव भरने, सूजन को कम और घाव के निशानों को दूर करने में सहायक होते हैं। एक शोध में पाया गया कि सर्जिकल घाव के किनारों पर पपीते के फल की ड्रेसिंग करने से घाव जल्दी भर सकता है। इसके अलावा पपीता में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी सूजन को कम करने और रोकने में सहायता प्रदान करता है।
गठिया के लिए फायदेमंद-
पपीता खाने से हड्डियां मजबूत होती है। क्योंकि इसमें प्रचूर मात्रा में कैल्शियम और पोटैशियम पाए जाते हैं। इसलिए, गठिया के मरीजों को रोजाना पपीते का सेवन ज़रूर करना चाहिए।
मासिक धर्म की समस्या में-
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में राहत दिलाने में पपीते का सेवन अच्छा उपाय माना जाता है। क्योंकि पपीता में पापिन नामक एंजाइम पाया जाता है। जो उस समय शरीर में होने वाले दर्द या परेशानी को कम करने में मदद करता है।
त्वचा की देखभाल करने में सहायक-
पपीता सेहत के अलावा त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, पपीते में बायोफ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती हैं। जो त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ पिगमेंटेशन को साफ करने और झुर्रियों को कम करने में मदद करता हैं। इसके अलावा यह आंखों के नीचे के काले घेरे, एक्जिमा और सोरायसिस को ठीक करने में सहायक होते हैं। साथ ही पपीते में मौजूद लाइकोपीन और विटामिन सी दोनों ही बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मददगार साबित होते हैं।
बालों के लिए लाभदायक-
पपीता का सेवन बालों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। दरअसल पपीते में कई तरह के खनिज और विटामिन पाए जाते हैं। इसके लिए पपीता की पत्तियों के रस को बालो में कंडीशनर की तरह लगाएं। ऐसा करने से बाल घने, लंबे और मजबूत होते हैं।
पपीता का उपयोग-
पपीता का छिलका निकालकर खाया जाता है।
पपीता का उपयोग जूस, जैली और जैम बनाने में किया जाता है।
फ्रूट सलाद बनाकर भी इसका सेवन किया जाता है।
पपीते का हलवा बनाकर सेवन किया जाता है।
कच्चे पपीता का सब्जी बनाकर सेवन किया जाता है।
इसको अचार के रूप में भी खाया जाता है।
कई जगहों पर पके हुए पपीते का उपयोग मिठाई बनाने के लिए भी किया जाता है।
पपीता के नुकसान-
लेटेक्स के मौजूदगी की वजह से पपीता गर्भाशय के संकुचन का कारण बन सकता है। जिससे गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान पपीता का सेवन न करें।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पपीता का सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करना चाहिए।।
इसके अधिक सेवन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या जैसे वोमिटिंग, पेट दर्द, उबकन आदि उत्पन्न हो सकती है।
बीटा कैरोटीन की अधिकता के कारण पपीता के अधिक सेवन से त्वचा की मलिनीकरण (Discoloration) के कारण हो सकती है। जिसे डॉक्टरी लैंग्वेज में कैरोटीनमिया कहा जाता है। इसमें हाथों एवं पैरों की तलवों का रंग पीला पड़ जाता है।
पपीता के सेवन शिशुओं (1 साल से कम) के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
अधिक मात्रा में इसके सेवन करने से थायराइड की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
कहा पाया जाता है पपीता?
पपीते का मूल स्थान दक्षिण अमेरिका को माना जाता है। लेकिन अब यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में न्यूनाधिक रूप से घरों या बगीचों में देखने को मिलता है। ऐसी मान्यता है कि 400ई पूर्व पुर्तगालियों द्वारा पपीते को भारत के केरल राज्य में लाया गया। केरल निवासी इसे कप्पकाय कहते हैं। जिसका शाब्दिक अर्थ जहाज से आया हुआ फल है। इसीलिए अभी भी केरल में इसकी उत्पादन अधिक होती है। इसके अलावा मुंबई, बंगलौर, पूना, चेन्नई और रांची भी पपीते के उत्पादन में अग्रणी हैं।
Comments
Post a Comment