क्या होता है जायफल? जानें, इसके फायदे और उपयोग
जायफल का एक सदाबाहर पेड़ होता है। जिसमें फल लगते हैं। इन फलों के बीज को ही जायफल कहा जाता है। यह एक एशियाई मसाला है। जिसका वैज्ञानिक नाम मिरिस्टिका फ्रग्रंस (Myristicafragrans) है। यह एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो दो लोकप्रिय मसालों पहला जायफल और दूसरा जावित्री का स्रोत है। जायफल 1 से 2 इंच लंबा और देखने में छोटी नाशपाती की तरह लगता है। जिसमें हल्के लाल या पीले रंग का गूदा होता है। यह फल पकने पर दो भागों में बट जाता है। जिसके अंदर लाल रेशे युक्त पदार्थ दिखाई देता है। इसी को जावित्री कहते हैं। जावित्री के अंदर एक गुठली होती है। जिसके ऊपरी भाग को तोड़कर बीज निकाला जाता है। जिसे जायफल कहते हैं। जायफल को अंग्रेजी में नटमेग (nutmeg) और संस्कृत में जातीफल के नाम से जाना जाता है। जायफल एवं जावित्री दोनों का स्वाद लगभग समान होता है। लेकिन जावित्री की तुलना मे जायफल तासीर से अधिक गर्म और स्वाद में ज्यादा तीखा (spicier flavour) होता है।
जायफल का उपयोग आयुर्वेद में कई सालों से किया जाता रहा है। जायफल में एंटीमाइक्रोबियल, एंटिफंगल, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरल, एनाल्जेसिक और उत्तेजक गुण पाए जाते हैं। जो शरीर को कई प्रकार से फायदा पहुंचाने का काम करते हैं। जायफल के सेवन से भूख बढ़ती है, उल्टी रूकती है, पेट की गैस, अधिक प्यास लगने की समस्या और कफ-पित्त दोष ठीक होते हैं। इसके साथ ही रक्त विकार, सांस की बीमारी, हिचकी और टीबी जैसे रोग में भी जायफल का उपयोग फायदेमंद होता है। जायफल में कई ऐसे खनिज भी होते हैं जो शरीर के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। जायफल तेल और साबूद दोनों ही रूप में मिल जाता है। इसके अलावा भारत में जायफल का इस्तेमाल मसाले के रूप में अधिक प्रचलित है।
जायफल के फायदे-
अनिद्रा को दूर करने में सहायक-
अनिद्रा अर्थात नींद न आना कई कारणों से होती है। जिसमें चिंता, तनाव, अवसाद आदि शामिल है। ऐसे में जायफल का सेवन करना अच्छा होता है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि जायफल के जलीय अर्क में एनजियोलिटिक (anxiolytic) गुण पाए जाते हैं। जो चिंता को दूर करने में सहायक होते हैं। साथ ही इसमें एंटीडिप्रेसेंट गुण भी पाया जाता है। जो तनाव और अवसाद को कम करने में कारगर साबित होते हैं। जिससे अच्छी नींद आती है। इस प्रकार एक चम्मच जायफल के तेल या चूर्ण को दूध में मिलाकर सेवन करने से अनिद्रा की परेशानी दूर होती है।
सर्दी-खांसी में असरदार-
जायफल के गुण में खांसी और सर्दी से बचाव भी शामिल है। जायफल में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है। जो सर्दी और खांसी को कम कर सकता है। यह एक्सपेक्टोरेंट की तरह काम करता है। जो पूरे बलगम को मुंह से निकालकर ऊपरी श्वसन तंत्र को साफ करता है। इसके लिए जायफल को पानी में घिसकर नाक के नथुनों पर रखें। ऐसा करने से बंद नाक खुल जाती है। साथ ही सिर दर्द भी ठीक होता है। इसके अलावा एक चुटकी जायफल के चूर्ण को दूध में मिलाकर लेने से जुकाम ठीक हो जाता है।
कामेच्छा बढ़ाने हेतु-
जायफल पर की गई एक रिसर्च के मुताबिक, जायफल थकान और तनाव को दूर करने के अलावा कामुकता बढ़ाने में भी मदद करता है। एक अध्ययन के अनुसार, जिन पुरुषों का वीर्य (Semen) पतला या शुक्राणु (Sperm) कम मात्रा में बनते हैं। उनके लिए जायफल का सेवन एक औषधि के तरह काम करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पुरातन काल से आयुर्वेद में कामेच्छा (सेक्स) से जुड़ी समस्याओं का इलाज जायफल से ही किया जाता रहा है। आज भी इसका इस्तेमाल पोराज जैसी दवाइयों को बनाने में किया जाता है। जो सेक्स के प्रति रुचि को विकसित करता है। साथ ही शारीरिक उत्तेजना को तेजी से बढ़ाता है।
बच्चों के तेज दिमाग को बनाए रखने में सहायक-
जायफल का उपयोग बच्चों के दिमाग को तेज और स्वस्थ्य रखने में सहायक होता है। इसका उपयोग प्राचीन काल से रोमन और यूनानी चिकित्सा पद्धति में मस्तिष्क टॉनिक के रूप में होता आया है। यह मस्तिष्क में नसों को उत्तेजित करके याद रखने की क्षमता में सुधार करता है। क्योंकि इसमें मैरिस्टिकिन (myristicin) नामक यौगिक पाया जाता है। जो एकाग्रता (concentration) और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही यह उन एंजाइम को रोकता है, जो अल्जाइमर जैसे मानसिक रोगों को बढ़ावा देते हैं। इसके लिए रोजाना एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी जायफल पाउडर मिलाकर सोने से पहले बच्चों को पिलाएं।
दांतों के दर्द में सहायक-
दांतों से जुड़ी समस्याओं के इलाज में जायफल का इस्तेमाल किया जाता है। जायफल के तेल में जीवाणुनाशक गुण होते हैं। जो दांतों के दर्द को दूर करने में बहुत कारगर होते हैं। एनसीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जायफल के अर्क में मैकलिग्नन (macelignan) नामक तत्व पाया जाता है। जो एक तरह का एंटीकैरोजेनिक (दांतों को टूटने से बचाने वाला) होता है। यह दांतों को स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स (Streptococcus Mutans) नामक ओरल बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करता है।
दर्द निवारक के रूप में-
जायफल का उपयोग दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज (शिकागो) के द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि जायफल के अर्क में एनाल्जेसिक (analgesic) गुण पाया जाता है। जो दर्द को दूर करने में सहायक होता है। इसके लिए जायफल के अर्क और सरसों के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर प्रभावित अंगो पर लगाएं। ऐसा करने से शरीर में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता हैं।
गठिया के इलाज में सहायक-
जायफल में मौजूद एनाल्जेसिक और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव सूजन को कम करने और रोकने में सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा जायफल एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है। जो सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में भी मदद करते हैं। साथ ही यह मांशपेशियों में होने वाली ऐंठन और खिंचाव को भी दूर करता है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार-
रोग-प्रतिरोधक क्षमता शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने का काम करती हैं। ऐसे में जायफल के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। क्योंकि इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण पाया जाता है। जो प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम करता है। जायफल से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है।
मधुमेह को कम करने में सहायक-
जायफल के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट गुण और एंटीडायबिटिक गुण होते हैं। जिसके कारण रक्त में मौजूद शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती हैं। इस प्रकार मधुमेह की समस्या में भी जायफल का सेवन लाभकारी होता है।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में-
जायफल में अधिक मात्रा में ऑक्सीकरणरोधी (antioxidant) पाया जाता है। जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण होने से बचाता हैं। जिससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नहीं बढ़ती है।
चेहरे के लिए फायदेमंद-
जायफल में एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक दोनों गुण एक साथ मौजूद होते हैं। जो मुंहासे, झुर्रिया, झाइयां और दाग-धब्बें उत्पन्न करने वाले कीटाणुओं को नष्ट करता है। इसके लिए जायफल पाउडर और शहद की बराबर मात्रा लेकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को प्रभावित हिस्सों पर लगाएं। आधे घंटे के बाद इसे साफ पानी से धो लें। ऐसा लगातार कुछ दिनों तक करने से मुहांसे और झाइयां दूर हो जाती हैं। साथ ही जायफल चेहरे को साफ-सुथरा और उज्ज्वल भी बनाता है।
जायफल का उपयोग-
मसाले के तौर पर जायफल का उपयोग किया जाता है।
चुटकी भर जायफल के चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन किया जाता है।
जायफल के तेल को हल्का गुनगुना करके शरीर की मसाज करने से शरीर को दर्द से राहत मिलती है।
पेट के रोग जैसे-अपच, दर्द, गैस, दस्त, सूजन आदि रोगो में पेट के बाहर नाभि पर जायफल के तेल को लगाने से या पानी में इसकी 2-3 बूंद लेने से फायदा होता है।
जायफल के तेल को किसी अन्य तेल आदि में मिलाकर सिर की मालिश करने से तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
जायफल के नुकसान-
चूंकि जायफल की तासीर गर्म होती है। इसलिए गर्मियों के मौसम में इसका सेवन कम से कम करें।
अधिक मात्रा में जायफल के सेवन से मतिभ्रम, घबराहट, उल्टी, मतली एवं दिल की धड़कनों का सामान्य से तेज जैसी समस्याएं हो सकती है।
अनियंत्रित रूप से जायफल का सेवन करने से खून का बहाव ज्यादा हो सकता है।
किसी व्यक्ति को इससे एलर्जी हो तो उसे इसके उपयोग करने के लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
जायफल का ज्यादा इस्तेमाल करने से आंतों में परेशानी हो सकती है।
इसका अधिक सेवन ड्राई माउथ की समस्या उत्पन्न कर सकता है।
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