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आरोग्यमशक्ति हर्बल हैंडवॉश क्या है ?

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  वर्तमान समय में आप लोग संचार के हर एक माध्यम (अखबार, टीवी, रेडियों, इंटरनेट) से हाथों को धोने, उनकों साफ रखने के बारे में सुनते, पढ़ते और देखते होंगे। इसके अलावा स्कूल और घर पर भी टीचर्स और मम्मी-पापा अक्सर यही बात दोहराते हैं कि खाने से पहले हाथ जरूर धोने चाहिएं। पर क्या तुमने कभी सोचा है कि मम्मी-पापा और बाकी बड़े लोग क्यों हाथ धोने पर इतना जोर देते हैं ? दरअसल, जब भी हम लोग घर से बाहर जाते हैं, खासकर किसी बाजार या पार्टी में तो उस समय लोगों से मिलते वक्त हम बहुत सारे जर्म्स अपने हाथों में लगा लेते हैं। जिनके बारें में हमें पता भी नहीं चलता। इसके अलावा सर्दी-जुकाम होने पर भी हम अपने हाथों में बहुत से ऐसे बैक्टीरिया बटोर लेते हैं, जो आगे चलकर बड़ी-बड़ी बीमारियों का कारण बनते हैं। इसलिए जरूरी है स्कूल और ऑफिस से आकर, खाने से पहले, खेलने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति से मिलने के बाद, खुद को सर्दी-जुकाम होने पर हाथ आवश्य धोने चाहिएं। लेकिन आज इस प्रदूषण भरे दौर में हाथ धोने के साथ त्वचा का ख्याल करना भी जरूरी हो गया है। क्योंकि वर्तमान समय में जीवन शैली में हुए बदलावों ने हमें कैमिकल युक्त प

इम्यूनिटी क्या है और हमें इसकी क्यों आवश्यकता है ?

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  इम्यूनिटी क्या है और हमें इसकी क्यों आवश्यकता है ? वर्तमान समय में कोरोना का बढ़ता आकंड़ा डराने वाला है। क्योंकि ये बीमारी बीते दिनों में कम होने की बजाये और ज्यादा बढ़ी है। बीमारी का इस तरह से बढ़ना ही लोगों के डर का मुख्य कारण है। पर अब वो समय आ चुका है जब हमें इससे बिना डरे इसका मुकाबला करना है। क्योंकि ये विश्व में आई कोई पहली आपदा नहीं है। इसलिए अब आवश्यकता है खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) को बढ़ाने की। ताकि इस तरह की बीमारियों से खुद को बचाया जा सके। क्या होती है इम्यूनिटी?  आज जिस तेजी से देश का विकास हो रहा है। उसी तेजी से इससे होने वाले प्रदूषण और बिमारियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम शरीर को आंतरिक रूप से इतना मजबूत बना लें कि वो इस प्रकार की बीमारियों से सरलता से लड़ सके। शरीर की इस आंतरिक ताकत को ही आसान भाषा में ‘इम्यूनिटी’ कहते हैं। जो हमारे शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाती है। किसी भी तरह की बिमारी से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी (Immunity) का मजबूत होना बेहद जरूरी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्चों और वृद्ध वर्ग

अधिक ठंड लगने के कारण और उससे बचने के घरेलू नुस्खे

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  अधिक ठंड लगने के कारण और उससे बचने के घरेलू नुस्खे सर्दी की शुरुआत हो चुकी है। जो अपने साथ कई तरह की परेशानी लेकर आती है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है वैसे ही इससे होने वाले साइड-इफेक्ट्स (Side-effect) भी बढ़ने लगते हैं। जिसका असर सबसे ज्यादा बच्चे और बड़े-बुजुर्गों पर देखने को मिलता है। इसलिए इस सर्द भरे मौसम से खुदको बचाने के लिए कुछ लोग अलाव (आग) का सहारा लेते हैं तो कुछ लोग रजाई-कंबल में रहना पसंद करते हैं। क्योंकि अलाव और रजाई से हमारे शरीर को शीघ्र ही गर्मी मिलती है। लेकिन कुछ लोगों को इतनी ठंड लगती है कि घंटों रजाई में रहने के बाद भी उनके हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। जिसको वे या तो अनदेखा कर देते हैं या फिर ठीक से समझ नहीं पाते लेकिन यदि हाथ-पैर लगातार ठंडे ही रहते हैं, तो यह कुछ शारीरिक समस्‍या का संकेत भी हो सकता है। जिनको जानना और समझना बेहद जरूरी है। क्या है हाथ- पैरों के लगातार ठंडे रहने की वजह ? हाथ-पैरों का ठंडा होने का सबसे बड़ा कारण उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और रक्त का न मिलना इहै। यह शरीर के खराब ब्लड सर्कुलेशन (रक्त प्रवाह) के कारण होता है। इसके अतिरिक्त नसों की क्षत

बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के लक्षण, कारण और इससे बचने के घरेलू उपाय

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  बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के लक्षण, कारण और इससे बचने के घरेलू उपाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या हमारे आधुनिक खानपान और जीवन शैली से उत्पन्न हुई है। जैसे-जैसे हम जीवन शैली में बदलवों का अनुसरण कर रहे हैं, वैसे ही नये-नये रोगों को उत्पन्न करने का माध्यम बनते जा रहे हैं। और हमारा शरीर केमिकल्स का भंडार बनता जा रहा है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना आज प्रत्येक व्यक्ति के लिए बड़ी समस्या बन गयी है, जो भविष्य में हार्ट-अटैक की संभावना को बढ़ा देती है।  पर हम अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर इस बीमारी की संभावना को कम कर सकते हैं। इस लेख में हम इन्हीं बदलावों और घरेलू उपायों के बारे में जानेंगे। क्या होता है कोलेस्ट्रॉल ? कोलेस्ट्रॉल लिवर से निकलने वाला एक वसा है, जो शरीर के कार्यों को सुचारु रूप से करने के लिए आवश्यक होता है। यह मोम की तरह चिकना पदार्थ होता है, जो रक्त में मौजूद प्लाज्मा की सहायता से शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचता है। शरीर की हर एक कोशिका को स्वस्थ्य रहने के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को रक्त में घुलने नहीं देता। हमारे शरीर में दो तरह

पुदीना

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  पुदीना पुदीना एक सदाबहार पौधा है। जिसने अपने लाजवाब स्वाद और खुशबू के चलते हर घर में अपनी पहचान बनाई हुई है। एक तरफ पुदीने का अर्क (रस) पेट के लिए अच्छा होता है तो दूसरी ओर पुदीने की चटनी शरीर को स्वास्थ्यवर्धक बनाती है। पुदीना वो मौसमी ऑलराउंडर है, जो सर्दियों में सर्दी, जुकाम, खांसी में आराम देता है और गर्मियों में लगने वाली लू और धूप से बचाने का काम करता है। वर्तमान समय में पुदीने का इस्तेमाल टूथपेस्ट, माउथ फ्रेशनर, दंत-मंजन, कैंडी, इन्हेलर जैसे उत्पाद बनाने में किया जाता है। आयुर्वेद में पुदीने का महत्व सदियों से पुदीने को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में देखा जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ( इम्यूनिटी ) बढ़ाने और घाव को जल्दी ठीक करने के साथ अन्य रोगों से लड़ने का भी काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीना कफ और वात रोग को कम करके भूख बढ़ाने का काम करता है। पुदीने को विटामिन-सी, तांबा, मैंगनीज जैसे मिनरल्स का बड़ा स्त्रोत माना जाता है। साथ ही इसमें जीवाणु एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण भी होते हैं, जो दस्त, अपच, बुखार, लीवर, पेट संबंधी बीमारियों को ठीक करने का काम करते ह

जानें मनुष्य के लिए क्यों जरूरी है आयुर्वेद ?

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  आयुर्वेद :  सामान्य परिचय आयुर्वेद प्रकृति द्वारा प्रदान और ऋषियों के शोध कार्यों से जन्मा एक विज्ञान है। यह हज़ारों साल पुराना वो तरीका है जिसने बड़े-से-बड़े और पुराने-से-पुराने रोगों को समाप्त किया है। यदि हम बात करें आयुर्वेद के जन्म की, तो यह पवित्र वेद यजुर्वेद से उल्लेखित किया गया है। आयुर्वेद इस बात को मानता है कि मनुष्य का मन, शरीर और आत्मा एक संपूर्ण इकाई है। जो आपस में एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और एक साथ मिलकर रोग को समाप्त करते हैं. इसीलिए आज भी इसकी मान्यता बरकरार है। आयुर्वेद की कुछ विधियां (योग, ध्यान, प्राणायाम, जड़ी-बूटियां आदि) पहले से ही चलन में रही हैं। वैसे तो अंग्रेजी तरीकों और दवाईओं से भी रोग ठीक हो जाता है पर जड़ से खत्म नहीं हो पाता। वहीं आयुर्वेद न सिर्फ हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करता है, बल्कि रोग को जड़ से भी उखाड़ फेंकता है। आयुर्वेद :  एक वरदान आयुर्वेद एक तरह से हम मनुष्यों के लिए वरदान है। क्योंकि आजकल का खान-पान किस तरह का है वो हम सभी जानते हैं। इसके अलावा हम भी ठीक से भोजन नहीं कर पाते और ना ही उसको ठीक से पचा पाते। ऐसे में हमारी  इम्यूनिटी  कमजोर प

8 TYPES OF MENTAL INTELLIGENCE

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  8 Types of Intelligence        Naturalistic Intelligence We have seen before how some people can develop anything, sometimes looks like they have a 'green thumb' . With the help of which they are easily associated with animals and some people are at home due to nature. Natural describes those who are sensitive to the natural world. They enjoy living outside the natural, nurturing, and exploring the environment. There are also people with high naturalistic intelligence who are very sensitive to small changes in nature and the environment around them.     Musical Intelligence Now a days music-savvy people are usually more sensitive to sound and they often pick up on things that were not usually known to others. He then also has an excellent sense of ability to recognize rhythm and pitch. More often they do not play an instrument or engage in music as a profession.       Logical-Mathematical Intelligence Of all our types of intelligence, logical-mathematical intelligen