इम्यूनिटी क्या है और हमें इसकी क्यों आवश्यकता है ?
इम्यूनिटी क्या है और हमें इसकी क्यों आवश्यकता है ?
वर्तमान समय में कोरोना का बढ़ता आकंड़ा डराने वाला है। क्योंकि ये बीमारी बीते दिनों में कम होने की बजाये और ज्यादा बढ़ी है। बीमारी का इस तरह से बढ़ना ही लोगों के डर का मुख्य कारण है। पर अब वो समय आ चुका है जब हमें इससे बिना डरे इसका मुकाबला करना है। क्योंकि ये विश्व में आई कोई पहली आपदा नहीं है। इसलिए अब आवश्यकता है खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) को बढ़ाने की। ताकि इस तरह की बीमारियों से खुद को बचाया जा सके।
क्या होती है इम्यूनिटी?
आज जिस तेजी से देश का विकास हो रहा है। उसी तेजी से इससे होने वाले प्रदूषण और बिमारियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम शरीर को आंतरिक रूप से इतना मजबूत बना लें कि वो इस प्रकार की बीमारियों से सरलता से लड़ सके। शरीर की इस आंतरिक ताकत को ही आसान भाषा में ‘इम्यूनिटी’ कहते हैं। जो हमारे शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाती है।
किसी भी तरह की बिमारी से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी (Immunity) का मजबूत होना बेहद जरूरी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्चों और वृद्ध वर्ग के लोगों में इम्यूनिटी की मात्रा युवा वर्ग से कम होती है। इसमें केवल हमारी लापरवाही ही नहीं बल्कि सब्ज़ी व फलों में होने वाली मिलावट, ऑग्ज़िन केमिकल प्रयोग से उगाई गई सब्जियां शामिल हैं। क्योंकि ऑग्ज़िन केमिकल से सब्जियों की गुणवत्ता में कमी आ जाती है इसकी वजह से सब्जियां शरीर को ताकत देने लायक नहीं रहती।
इन सब कारणों को ध्यान में रखकर ही “वेदोबी क्यूरा” का निर्माण किया गया है। वेदोबी क्युरा 8 औषधियों से मिलकर बनी है। इन 8 औषधियों के नाम हैं-
- नीम
- गिलोय
- दालचीनी
- तुलसी
- हल्दी
- काली मिर्च
- वसा पत्र
- चाय पत्ती
आठों औषधियां एवं उनमें पाये जाने वाले गुण:
- नीम
नीम की अनेक खूबियों के कारण इसकी मात्रा वेदोबी क्युरा में सबसे अधिक है। इसके पत्तों का कड़वा व कषाय (कसैला) रस इसकी गुणवत्ता का मुख्य कारण है। रस में मौजूद कड़वाहट के कारण यह कृमि जन्य (शरीर में पैदा होने वाले छोटे कीड़े) तथा अन्य कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा यह शरीर के खून को भी साफ करता है और त्वचा को सड़ने से बचाता है। नीम एक ठंडी औषधि है, जो शीतल होने के कारण शरीर में उपस्थित पित्त दोष (शरीर से निकलने वाला पीला पानी) को शांत करता है और सभी प्रकार के बुखार में, खांसी में, ज़ुखाम, श्वास संबंधी बीमारियों आदि में लाभदायक होती है। साथ ही डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को इसका निरंतर सेवन करने से डायबिटीज से शीघ्र मुक्ति मिलती है।
- गिलोय
गिलोय और नीम की मात्रा वेदोबी क्यूरा में एक समान है। इसका मुख्य कारण इन दोनों का रोग प्रतिरोधक (बीमारी से लड़ने की क्षमता) गुण है। यह शरीर के तीनों दोष अर्थात वात (वायु रोग), पित्त और कफ (बलग़म) के संतुलन को बनाए रखने तथा इसके प्रकोप से होने वाली सभी तरह की बीमारियों को रोकने की क्षमता रखता है। यह कास (खांसी), तृष्णा (अधिक प्यास लगना), शूल (पेट दर्द) आदि प्रकार की बीमारीयों को भी शांत करता है। इसके अतिरिक्त गिलोय का निरंतर सेवन करने से यह हृदय संबंधी रोग, जोड़ों के दर्द और आर्थराइट (गठिया) आदि जैसी बीमारियों में भी आराम पड़ता है।
- दालचीनी
दालचीनी न केवल मसाले के रूप में प्रयोग होती है। बल्कि यह एक उत्तम औषधि भी है। यह प्रभाव से गर्म होने के कारण कफ व वात दोषों को शांत करती है और किड़नी से संबंधित समस्याओं को दूर करती है। इसका तीखा व कड़वा रस शरीर की पाचन क्रिया को तेज करता है तथा मूत्र को बिना किसी प्रतिरोध के शरीर से निष्कासित करने में मदद करता है। इसमें कफ दोष को खत्म करने की क्षमता होने के कारण यह खांसी और सांस लेने में बाधा पहुंचने वाले सभी रोगों का अंत करती है।
- तुलसी
तुलसी की गुणवत्ता अतुल्य है। इसका प्रतिदिन सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी क्षमता बढ़ जाती है। तुलसी का उड़न शील तेल क्षयरोग (टी.बी.) को खत्म करने में अनेक एलोपैथिक दवाइयों के मुकाबले अत्यधिक गुणवान है। साथ ही यह शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की जलन व दर्द को भी जल्द ही शांत करता है।
- हल्दी
हल्दी का प्रयोग न केवल खाद्य पदार्थो को रंगने हेतु या मसालों के रूप में होता है। बल्कि इसका सामान्य रूप से प्रयोग में लाने का अन्य कारण इम्यूनिटी बिल्डिप को बढ़ाना है। इसमें विटामिन ए, कार्बोहाइड्रेट इत्यादि की भरपूर मात्रा होती है जो शरीर को ताकत देने का काम करती है। प्रभाव से गर्म होने के कारण यह शरीर के आंतरिक भाग में व शरीर की बाहरी सतह पर मौजूद सूक्ष्म कीड़ों को भी मारती है। हल्दी कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे व्रण (ज़ख्म़), फोड़े-फुंसियां, कंडू (खुजली) आदि को कम करती है और इसका निरंतर सेवन करने से इस प्रकार के रोग शरीर को नहीं लगते।
- काली मिर्च
काली मिर्च के तीखा व कड़वेपन का कारण उसमें उपस्थित पाइरिन, पाइरिडिन, पाइपरेटिन व चविकिन रसायन है। मिर्च के इसी तीखेपन के कारण यह कफ रोग से लड़ती है और शरीर के सभी मलों को बाहर निकालकर उनका दोष-शोधन (दोष को सुधारने की क्रिया) करती है। काली मिर्च शरीर की पाचन शक्ति को और बलवान बनाकर भोजन में रुचि बढ़ाती है। जुख़ाम, खांसी व सांस लेने में तकलीफ होने पर सामान्य रूप से इसका प्रयोग काढ़े या चाय में किया जाता है। इसका लगातार उपयोग करने से दांत में लगे कीड़े व मुहं से संबंधी रोगों में भी आराम मिलता है।
- वसा
यह अधिक गुणकारी औषधि है। इसका कारण इसमें पाए जाने वाला वासिकिन रसायन व उड़न शील सुगंधित तेल है। इसका कड़वा व कषाय (कसैला) रस होने के कारण यह खांसी व श्वसन प्रणाली अर्थात रेस्पिरेट्री सिस्टम में बाधा पहुंचाने वाले रोगों को उत्पन्न करने वाले सभी कारणों का खत्म करने में सक्षम है। यह खांसी के केवल वेग को कम नहीं करता बल्कि कफ को पतला करके उसको बाहर निकालने के कारण जड़ से खत्म करता है। यह रक्तार्श (ब्लीडिंग पाइल्स), हृदय रोग, रक्त पित्त (खून का पीलापन) इत्यादि बीमारियों से लड़ता है।
- चाय-पत्ती
इसमें उपस्थित उड़न शील तेल गले में आराम पहुंचाकर श्वसन प्रणाली में होने वाली अनचाही गतिविधियों को शांत करता है। इसके प्रयोग से कास (खांसी), श्वास, ब्रोंकाइटिस (गले में खराश और घरघराहट), साइनसाइटिस इत्यादि सभी रोगों में लाभ मिलता है। इन सभी औषधियों के प्रयोग से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के लिए वेदोबी क्युरा का निर्माण किया गया है।
वेदोबी क्युरा इम्यूनिटी बढ़ाने में कैसे मदद करता है?
वेदोबी क्युरा में पाए जाने वाली आठों औषधियों के सबसे गुणवत्ता वाले भाग (सारांश) अर्थात एक्स्ट्रैक्ट का प्रयोग किया गया है। यह एक्स्ट्रेक्ट किसी भी काढ़े से अधिक लाभदायक होता है। क्योंकि एक्स्ट्रेक्ट का सेवन करने से औषधि के एक्टिव पार्टिकल स्वयं ही वेदोबी क्युरा द्वारा एकत्रित कर लिए जाते हैं। यही इसकी गुणवत्ता का मुख्य कारण है।
- यह कास, श्वास आदि जैसी बाह्य जंतुओं द्वारा जन्मी संक्रामक बीमारियों से बचाता है।
- यह लंबे समय से चलती हुई बीमारियां जैसे हृदय रोग, ट्यूबरक्यूलोसिस (टी.वी.), त्वचागत रोग जैसे कुष्ठ (त्वचा का सड़ना), रक्तज विकार (बल्ड डिसऑर्डर) जैसे अर्श (बवासीर) इत्यादि से लड़ता है।
- यह आज के दौर में हो रहे अनेक प्रकार के मानसिक रोग जैसे तनाव, एंजायटी, डिप्रेशन, आदि से लड़ने में तथा मस्तिष्क दौर्बल्यता (कमजोर) को भी दूर करने में सहायक है।
- इसका निरंतर सेवन करने से उपरोक्त बीमारियों को जड़ से भी खत्म किया जा सकता है।
वेदोबी क्युरा का प्रयोग किस प्रकार करें?
- इसकी उत्तम औषधीय गुणों का पूर्ण रूप से लाभ उठाने के लिए इसकी 6-10 बूंदों का प्रयोग गर्म पानी या चाय में मिलाकर करें।
- ऐसा दिन में कम से कम 3 बार करें।
- नियमित रूप से ऐसा करने से कुछ ही दिनों में यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर डबल कर देता है। जो सभी रोगों से लड़ने में सहायता करता है।
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